कुर्सी मुकुट और दरबार
रोटी पेटों की सरकार
कुर्सी भरे पेट का राज
रोटी भूखों की आवाज़
कुर्सी सपनों का संसार
रोटी मजबूरी-बेगार
कुर्सी अकबर की बंदूक
रोटी राणा की इक चूक
कुर्सी सतसइया सिंगार
रोटी भूषण की हुंकार
कुर्सी जलियाँवाला बाग़
रोटी ऊधमसिंह की आग
रोटी पेटों की सरकार
कुर्सी भरे पेट का राज
रोटी भूखों की आवाज़
कुर्सी सपनों का संसार
रोटी मजबूरी-बेगार
कुर्सी शीश चढ़े कुछ फूल
रोटी पाँव चुभे कुछ शूल
कुर्सी रक्त-रक्त की प्यास
रोटी स्वेद कणों की आस
कुर्सी ज़हरीला इतिहास
रोटी सुकराती विश्वास
रोटी राणा की इक चूक
कुर्सी सतसइया सिंगार
रोटी भूषण की हुंकार
कुर्सी जलियाँवाला बाग़
रोटी ऊधमसिंह की आग
कुर्सी जिन्ना: की तकरार
रोटी गांधी का अवतार
कुर्सी धर्मों का संग्राम
रोटी हडताली आसाम
कुर्सी सोया देश तमाम
रोटी जागृति का पैगाम
31 अक्टूबर,1981
सटीक अन्तर बताया कुर्सी और रोटी का ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
आपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी ... आप बहुत अच्छा लिखते हैं ... आपकी कविता में आपकी मेहनत और काव्य बोध साफ़ दिखता है ...
जवाब देंहटाएंग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
behad bhavpravan ar sateek...samay ka takaza hai ki dil me jalti aag se mashaal jalate rahein ham har ghari...yahi amar jawan jyoti hai sahi arthon mein..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya rishabh ji.
बढिया कविता और चर्चा मंच पर इसकी चर्चा ही इस कविता की सार्थकता को प्रमाणित करती है। ऐसी कुर्सी तो तोड़ ही देना चाहिए॥
जवाब देंहटाएंकुर्सी भरे पेट का राज
जवाब देंहटाएंरोटी भूखों की आवाज़
कुर्सी सपनों का संसार
रोटी मजबूरी-बेगार
आदरणीय शर्मा जी आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आया हूँ यह पंक्तियाँ तो गजब की है | बधाई तो लेनी ही पड़ेगी !
सर्व-आदरणीय
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी,
इन्द्रनील भट्टाचार्य जी,
विजय रंजन जी,
चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद जी
एवं
सुनील कुमार जी,
आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ.
स्नेह बनाए रखिएगा.
- ऋषभ
aisi post bahut mushkil se padne ko milti hai
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com