ऋषभ की कविताएँ
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
आवास
या तो
समुद्र की लहरों पर
हो
मेरा बसेरा .
कभी सोऊँ नहीं .
या
सोती रहूँ
तेरे विशाल वक्षस्थल पर .
कभी जागूँ नहीं.
1 टिप्पणी:
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
19 दिसंबर 2010 को 7:38 pm बजे
दोनों अवस्थाओं में सुकून ही तो मिलेगा॥
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दोनों अवस्थाओं में सुकून ही तो मिलेगा॥
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