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शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

तू कच्ची कचनार

तू कच्ची कचनार राधिके! तू कच्ची कचनार
तू पागल बटमार कन्हैया! तू पागल बटमार

चंदा जैसा मुखड़ा तेरा , कोयल जैसे बोल
जा तू अपनी राह बटोही, करे न और मखौल
तू कोमल सुकुमार राधिके! तू कोमल सुकुमार 
तू है ठेठ गँवार कन्हैया! तू है ठेठ गँवार  

नागिन सी बलखाय किशोरी! हिरनी जैसी चाल 
साँझ भई अब मधुवन मोहे मत रोके नंदलाल!
सुन मेरी मनुहार राधिके! सुन मेरी मनुहार 
तू तो भया लबार कन्हैया! तू तो भया लबार 

चंद्र  किरण सा रूप सलोना, सोने जैसा गात 
मन को मोहे वंशीवाले! तेरी मीठी बात  
तू सुंदर सिंगार राधिके! तू सुंदर सिंगार 
तू चंचल बजमार! कन्हैया!! तू चंचल बजमार !!!

27 नवंबर 1981   


6 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

सुकोमल राधिका और गंवार कान्हा की सुंदर ठिठोली के लिए आभार॥

Suman ने कहा…

कान्हा की प्यारी लगी मनुहार !

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
एवं
@ Suman

आप दोनों की सहृदयता के लिए आभार!

मधुर नागवान ने कहा…

Krishna aur Radha ke madhyam se chhedchhad aur masti bhare is geet ne achanak madhyakaal men pahunha diya.

Unknown ने कहा…

वाह्ह्ह्ह बहुत ही सुन्दर

लिखते हो शानदार भैया जी! लिखते हो शानदार

Unknown ने कहा…

वाह्ह्ह्ह बहुत ही सुन्दर

लिखते हो शानदार भैया जी! लिखते हो शानदार