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रविवार, 1 जनवरी 2012

२०१२ की शुभकामनाओं के साथ

१.
दुलहिनो!
मंगलाचरण गाओ - नया वर्ष आया है.
मैंने अपने हाथ से रंगोली सजाई है,
मंगल चौक पूरा है,
पूर्णकुंभ संजोया है.
आरती उतारो नए पाहुने की.
संभावनाओं के बंदनवार बाँध दिए हैं मैंने;
स्वागत गीत उठाओ न!

२.
हम अलाव तापते ऊंघ रहे थे
वह चुपके से आ गया दबे पाँव आधी रात
ठिठुरता खड़ा रहा शायद कुछ देर
और फिर चुपके से घुस आया मेरी बुक्कल में
पूरी आँखें खोल ताप रहा है वह भी अलाव

३.
यार नए साल!
तू इतनी ठंड  में क्यों आता है
शीत लहर में हम गरीबों को मौत के घाट उतारता हुआ?
लेकिन खैर जब आ ही गया है
तो ले यह ताज़ा गरमागरम गुड खा
घुटनों में जान पड़ जाएगी
बारह महीने के सफर के लिए.

वैसे यार तू इतनी ठंड में आता क्यों है?
वसंत में आता तो खट्टी मीठी पच्चडी खाता!

3 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

नववर्ष अब आ ही गया है तो उसका स्वागत करें। उसके गर्भ में क्या है यह तो बारहमासी से पता चलेगा:) सुंदर कविताओं के लिए बधाई।

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@संजय भास्कर
शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ,बंधु.

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@ चंद्र मौलेश्वर प्रसाद
और हाँ, इधर हैदराबाद में तो उतनी ठंड भी नहीं रही न इस सप्ताह से. आप भी अब तो घर से निकल कर शहर की तरफ आइए साहब.