उससे पहले, क्या होता है गधा, सुनो
गधे को सब मूरख कहते
कमर टूटती बोझा सहते
बेचारा कितना सीधा
है
सींग नहीं मारा करता
है
गायें सींग चलाया करतीं
ब्याई गाय सिंहनी
होती
कुत्ता खतरनाक होता
है
उसकी बड़ी चिकित्सा
होती
लेकिन गधा बड़ा सीधा
है
कभी नहीं गुस्सा
होता है
चाहे जितना मारो पीटो
असंतुष्ट नहीं होता
है
वह ऋषियों-मुनियों जैसा
है
सुख दुःख से ऊपर है,
भाई
पर उसका भी एक सगा
है
उसे बैल कहते हैं,
भाई
जो सीधा है वो मूरख
है
हिंदुस्तानी भी सीधे
हैं
सीधे हैं इस ही कारण
से
दुनिया भर में बने
गधे हैं
इनके ही जैसा होता
है
बछिया का ताऊ यह बैल
खूब मार खाता बेचारा
फिर भी चुप रहता है
बैल
ऐसे ही दो बैल गाँव
में
झूरी के हीरा-मोती
थे
झूरी के प्यारे थे
दोनों
उसकी आँखों की
ज्योति थे
दोनों साथ-साथ रहते
थे
सर्दी-गर्मी सब सहते
थे
एक बार ससुराल गए तो
घर वापस भगकर आए थे
ऐसे बैलों को झूरी
ने
भेज दिया था मजबूरी
में
दिन तो किसी तरह से
बीता
किंतु रात में भाग
चले वे
झूरी के घर वापस आए
स्नेह और विद्रोह जताए
झूरी ने तो प्यार
दिखाया
अपनेपन से तन सहलाया
झूरी की पत्नी क्रोधित थी
बोली, नमकहराम है दोनों
भूसा बंद कर दिया उनका
भूखे रहे, न दाना-तिनका
वापस गए, किंतु
गुस्से में
मार पड़ी, पर जिद ना
छोड़ी
लाठी खाई, जिद ना
छोड़ी
नन्ही एक बालिका थी
दो रोटी अपनी दे
देती
इतना प्रेम उन्हें
काफी था
पर चारा तो नाकाफी
था
चाहा, मालिक पर चढ
बैठें
लेकिन नहीं, यह हिंसा
होती
क्रोध भले चाहे
कितना हो
रहे अहिंसक हीरा
मोती
एक रात लड़की ने उनको
खोल दिया चुपके से
आकर
मिला राह में एक
सांड जो
गिरा दिया मिल कर
हमला कर
एक खेत में घुसकर
दोनों
चरने लगे अकड़ में
ऐंठे
पकड़े गए और फिर
दोनों
पशुगृह के बंदी बन
बैठे
उनके जैसे वहाँ बहुत
थे
सब भारत-जन जैसे
हारे
पड़ी जान जोखिम में
जब तो
हीरा-मोती धक्के
मारे
आधी गिरी दीवार
गधे तक बाहर ठेले!
हीरा नहीं निकल पाया
था
फिर मोती ही कैसे
निकले!
दोनों मित्र वहीं पर
ठहरे
फिर से बहुत मार खाई
थी
अगले दिन बोली थी
उनकी
खरीदने जनता आई थी
एक कसाई उन्हें ले
चला
परिचित राह दिखाई दी
दोनों बहुत तेज दौड़े
थे
झूरी के घर जा पहुँचे
थे
और इस तरह दोनों
साथी
वापस फिर अपने घर आए
अपने सीधेपन की खातिर
थे कितने ही धक्के
खाए
पर आखिर सब ठीक हो गया
कहानी ख़त्म हो गई,
भैया
इसे लिखा था प्रेमचंद ने
अब तुम नाचो ता ता थैय्या
2 टिप्पणियां:
कहानी को कविता में पढ़ने का आनंद अलग होता है। बढ़िया कविता।
हे सहृदय कवि!जानवरों में भी रिश्तों की पहचान की| कहानी कविता का बाना बन अंतर्मन में रम गई |
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