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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

सहृदय

मैंने उससे पूछा
कविता सुनोगे?
उसने काला चश्मा पहन लिया.
मैंने उससे फिर पूछा
कविता सुनोगे?
उसने काला कोट पहन लिया.
मैंने उससे एक बार फिर पूछा
कविता सुनोगे?
उसने काले दस्ताने पहन लिए.

मैं उसे कैसे बताऊँ -
मेरी कविता को श्रोता चाहिए
जासूस,
        जज़
             और
                   जल्लाद
                            नहीं?! 

2 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

हम सरौते हैं... हम है तैयार चलो :)

shashi ने कहा…

OMG!!!!!