ऋषभ की कविताएँ
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शुक्रवार, 23 सितंबर 2016
मैं उजला होने आया...
मैं उजला होने आया था,
जग ने और कलुष में धोया!
जिसको धोने की खातिर मैं,
दिवस-रैन जन्मों तक रोया!!
31 मार्च, 2000
14:00
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