ऋषभ की कविताएँ
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शुक्रवार, 23 सितंबर 2016
प्रफुल्लता
प्राण की अमराइयों में
प्रीत का कोकिल
बोल उट्ठा ...
बौर रोमों में
उठे हैं खिल
31 मार्च, 2000
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