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गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010

कंगारू

मैं कंगारू हूँ.
मेरी छाती में एक जेब है,
जेब में एक बच्चा.
बच्चे को हर हाल में बचाना है मुझे.

वे मुझे बंदर समझते हैं
और मेरे बच्चे को लाश.
कैसे सौंप दूँ उन्हें? 
बच्चे को हर हाल में बचाना है मुझे!

3 टिप्‍पणियां:

पद्म सिंह ने कहा…

छाती पर जेब, जेब में बच्चा, और बच्चा भी नादान .... कैसे और कब तक सम्हालें

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

छाती पर जेब
जेब में पेन
उठाना ही होगा
तेवरी के लिए :)

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@पद्म सिंह
कविता को नया आयाम देने के लिए आभारी हूँ.


@cmpershad
वाह! इसे ही शायद पाठक की क्रिएटिविटी कहते हों.