गहन रचना.
`और तुम खेत में बारूद उगाने लगे हो अनाज की जगह.'यही तो होगा बाज़ारीकरण का परिणाम :(
कविता के भाव बहुत सुंदर हैं।
@Udan Tashtari आभारी हूँ.@cmpershad पता नहीं यह बाजारीकरण का परिणाम है या कुछ और., लेकिन चिंता का विषय यह है कि जनसंघर्ष जनसंहार में बदल गया है!@डॉ. अश्विनीकुमार शुक्लब्लॉग पर पधारने के लिए कृतज्ञ हूँ.
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4 टिप्पणियां:
गहन रचना.
`और तुम खेत में बारूद उगाने लगे हो
अनाज की जगह.'
यही तो होगा बाज़ारीकरण का परिणाम :(
कविता के भाव बहुत सुंदर हैं।
@Udan Tashtari
आभारी हूँ.
@cmpershad
पता नहीं यह बाजारीकरण का परिणाम है या कुछ और., लेकिन चिंता का विषय यह है कि जनसंघर्ष जनसंहार में बदल गया है!
@डॉ. अश्विनीकुमार शुक्ल
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