वह मेरे पास आया
बैठ गया
हम दोनों बैठे रहे
देर तक बस यूँ ही
बिना कुछ कहे
.
एक बेमुस्कान सी मुस्कान थी
दोनों के चेहरे पर
एक शांति की छाया सी .
मैंने अपना हाथ बढ़ाया उसकी ओर
उसने रख दिया अपना हाथ मेरी हथेली पर
मैंने दूसरे हाथ की तर्जनी का नाखून
गड़ा दिया उसकी कोमल कलाई में
नस कट गई
खून हो गया
रक्तपान कर
मैं
बन गया हूँ पिशाच
लटका अंधकूप में उल्टा
अब शव भक्षण की बारी है
[कुमार लव की ''आदमखोर'' सिरीज़ की प्रेरणा से]
बैठ गया
हम दोनों बैठे रहे
देर तक बस यूँ ही
बिना कुछ कहे
.
एक बेमुस्कान सी मुस्कान थी
दोनों के चेहरे पर
एक शांति की छाया सी .
मैंने अपना हाथ बढ़ाया उसकी ओर
उसने रख दिया अपना हाथ मेरी हथेली पर
मैंने दूसरे हाथ की तर्जनी का नाखून
गड़ा दिया उसकी कोमल कलाई में
नस कट गई
खून हो गया
रक्तपान कर
मैं
बन गया हूँ पिशाच
लटका अंधकूप में उल्टा
अब शव भक्षण की बारी है
[कुमार लव की ''आदमखोर'' सिरीज़ की प्रेरणा से]
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