सोचा था, आकाश बनूँगा, पर पाषाण बना
पुष्प वाटिका जली, यज्ञ-मंडप श्मसान बना
प्रभुओं की स्तुति छोड़, तनिक जो दोष बताया तो
कल तक का भगवान, आज पापी शैतान बना
मैंने जिसको छुआ कभी वह, पानी अमरित था
पर अपनों का अमरित दान, मुझे विष पान बना
30 मार्च, 2004.
रात्रि 02:20
पुष्प वाटिका जली, यज्ञ-मंडप श्मसान बना
प्रभुओं की स्तुति छोड़, तनिक जो दोष बताया तो
कल तक का भगवान, आज पापी शैतान बना
मैंने जिसको छुआ कभी वह, पानी अमरित था
पर अपनों का अमरित दान, मुझे विष पान बना
30 मार्च, 2004.
रात्रि 02:20
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