कई बरस
पहले हमारे पुरखे
इस गाँव
में ले आए थे
एक
विचित्र प्राणी
कहने को
चौपाया
पर थीं
तीन ही टांगें – तीनों घायल,
चौथी टांग
अदृश्य
घिसट घिसट
कर चलता
मौके
बेमौके सींग और पूँछ चलाता
जोर से
डकारता
हमने उसके
गले में भ्रष्टाचार की ईंटें बाँध दी हैं
अदृश्य
टांग की जगह रोप दिया है ऐरावत का घंटा
अब वह
चलता नहीं खड़ा खड़ा हिलता है
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