ऋषभ की कविताएँ
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शुक्रवार, 12 मई 2017
प्रार्थना
अब तक निभाया,
आगे भी साथ दो!
साँस टूटे तो,
सिर पर तुम्हारा हाथ हो!!
[4/5/2017]
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