1.दुनिया कब से लड़ रही , भर प्राणों में क्रोधनया युद्ध तुमने लड़ा, सविनय किया विरोध2 .दुनिया लडती क्रोध से, करती अत्याचारभारत लड़ता सत्य ले, बाँट बाँट कर प्यार3 .उनके हाथों में रहे, सब खूनी हथियार4 .अड़े सत्य पर तुम सदा, दिया न्याय का साथसत्ता-बल के सामने, नहीं झुकाया माथ5 .निर्भय होने का दिया, तुमने ऐसा मंत्रजगा देश का आत्म-बल, होकर रहा स्वतंत्र6 .मिले प्रेम के युद्ध में, भले जीत या हारतुमने सिखलाया हमें,शस्त्रहीन प्रतिकार7.
सत्ता,प्रभुता,राजमद, शोषण के पर्याय
नमक बना तुमने दिया, जन-संघर्ष उपाय
8 .
क्या न किया अंग्रेज़ ने, क्या न गिराई गाज
मगर न कुचली जा सकी, जनता की आवाज़
9
सच्चा नायक तो वही, कथनी-करनी एक
वरना तो झूठे यहाँ, नेता फिरें अनेक
10 .
दौड़ रहे पागल हुए, महानगर की ओर
गांधी की वाणी सुनो, चलो गाँव की ओर
11 .
अगर कहीं कोई मरे, ऋण से दबा किसान
यह गांधी के देश में, उचित नहीं, श्रीमान
12 .
दुनिया बनती जा रही, मंडी औ' बाज़ार
इसे बनाओ, मित्रवर, प्रेमपूर्ण परिवार29 /9 /2011 //रात्रि 01 :45 .
[ दूरदर्शन (सप्तगिरि चैनल) के निमित्त]