अरी ओ चिरैया!
ज़रा उषा की अगवानी के गीत तो गाओ.
जनता को जगाना है
अरी ओ कलियो!
ज़रा चटक कर खुशबू बिखेरो न
जनता को जगाना है
अजी ओ सूरज दादा!
जमे हिम खंड पिघला दो अपनी धूप से
जनता को जगाना है
अरी ओ हवाओ!
सहलाओ मत, जोर से हिलाओ, झकझोरो
जनता को जगाना है
अरे ओ बादलो!
उमडो घुमडो गरजो बरसो, बिजली चमकाओ
जनता को जगाना है
अरी ओ धरती!
फट नहीं पड़ना! थोड़ा और धीर धरो!!
जनता जाग रही है!!!
ज़रा उषा की अगवानी के गीत तो गाओ.
जनता को जगाना है
अरी ओ कलियो!
ज़रा चटक कर खुशबू बिखेरो न
जनता को जगाना है
अजी ओ सूरज दादा!
जमे हिम खंड पिघला दो अपनी धूप से
जनता को जगाना है
अरी ओ हवाओ!
सहलाओ मत, जोर से हिलाओ, झकझोरो
जनता को जगाना है
अरे ओ बादलो!
उमडो घुमडो गरजो बरसो, बिजली चमकाओ
जनता को जगाना है
अरी ओ धरती!
फट नहीं पड़ना! थोड़ा और धीर धरो!!
जनता जाग रही है!!!