१.
हर तरफ अंधे धृतराष्ट्र हैं,
गांधारियों ने
आँखों पर पट्टी बाँध रक्खी है.
महाभारतकार की कलम
रुकी हुई है,
संजय ने चुप्पी साध रक्खी है.
कौन सुने?
कौन बताए?
शरशय्या पर पड़े भीष्मपितामह की
प्यासी आवाजों का
बहरे देश में क्या हुआ?
क्या न हुआ?
03 /12 /1981
हर तरफ अंधे धृतराष्ट्र हैं,
गांधारियों ने
आँखों पर पट्टी बाँध रक्खी है.
महाभारतकार की कलम
रुकी हुई है,
संजय ने चुप्पी साध रक्खी है.
कौन सुने?
कौन बताए?
शरशय्या पर पड़े भीष्मपितामह की
प्यासी आवाजों का
बहरे देश में क्या हुआ?
क्या न हुआ?
२.
दुर्योधन से तो कोई शिकायत नहीं,
लेकिन वह एक युधिष्ठिर
जिसके चेहरे पर धर्मराज का मुखौटा चिपका है-
चौराहे चौराहे
अश्वत्थामा की
अनहुई मौत का
समाचार लिए घूमता है;
और उसका बड़ा भाई कर्ण
दानवीर होने का दंभ लिए
दूर-
कुरुक्षेत्र के उस छोर पर जा बैठा है .
किसी को कोई परवाह नहीं
भीष्मपितामह की प्यासी आवाजों का
बहरे देश में क्या हुआ?
क्या न हुआ?
३.उस पहले महायुद्ध में जिसने
धरती फोड़कर गंगा निकाल दी थी
वह गांडीवधारी अर्जुन
वैरागी हो गया है;
सारा पौरुष भूल कर भीम
गोदाम में सो गया है.
अभिमन्यु
भूख के चक्रव्यूह से लड़ रहा है,
उत्तरा लकडियाँ बीन रही है
सुबह चूल्हे के लिए,
शाम चिता के लिए.
कृष्ण की
कौरवों से शिखर वार्त्ता चल रही है,
द्रौपदी
दु:शासन के टुकड़ों पर पल रही है.
कुंती
मोतियाबिंदभरी आँखों से देख रही है
कैसे उसके दूध का खून हुआ
और कैसे खून पानी हो गया?
कौन सुने?
कौन बताए?
शरशय्या पर पड़े भीष्मपितामह की
प्यासी आवाजों का
बहरे देश में क्या हुआ?
क्या न हुआ?
03 /12 /1981