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बुधवार, 26 जनवरी 2011

औरत : एक गाली ?

वे हास्य का आलंबन हैं
क्योंकि वे औरतें हैं.
वे आक्रमण का पात्र हैं
क्योंकि वे औरतें हैं.

औरतें कुएँ में पडी हैं
क्योंकि वे औरतें हैं.

मर्दों की दुनिया में औरत होना
मनुष्य होना नहीं हैं.
वे नहीं हैं मनुष्य
क्योंकि वे औरतें हैं.

'औरत होना' एक गाली है - मर्दों की दुनिया में!

कवि हो तो क्या हुआ
तुम भी तो मर्द हो;
खूब गालियाँ दो औरत के नाम पर
और खूब तालियाँ पिटवाओ.

[औरत को गाली देने पर मेरा देश ताली पीटता है!]

अठारह जनवरी,2004

4 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

औरते होना गाली है और मर्द तो मवाली है:) नये कलेवर का ब्लाग सुंदर बन पड़ा है, बधाई गणतंत्र दिवस की॥

शिवा ने कहा…

औरत होना गाली नहीं . ..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

लोग अब तक तुच्छ मानसिकता पाले रहें , तो यह मानव जाति का दुर्भाग्य
ही कहा जायेगा क्योंकि 'नारी ' हर मायने में पुरुषों से आगे है |
माता ,बहन बहू और बेटी को गाली कोई पागल ही दे सकता है |
यह तो हर रूप में सम्माननीय और वन्दनीय है |

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

आदरणीय प्रसाद जी, शिव और सुरेन्द्र जी,

आप तीनों की निषेधपूर्ण प्रतिक्रिया पाकर यह साधारण सी कविता सफल हो गई.
पाठक में यह आक्रोश जगाना ही इसका उद्देश्य है.

धन्यवाद.