मुझको मेरा गीत चाहिए
वही मुक्त संगीत चाहिए
मेरे मथुरा-ब्रज-वृंदावन
कालिंदी के तट रहने दो
कुरुक्षेत्र मत करो देश को
यों न रक्त-सरिता बहने दो
रक्तजीवियों के जंगल में
दूध नहाया मीत चाहिए
मेरे उषा-सूक्त के गायन
मुझको गीता-गायत्री दो
मेरा गौतम, मेरा गांधी
मुझको सीता-सावित्री दो
जो विषधर को गंगा कर दे
शिवशंकर की प्रीत चाहिए
मत आँगन के बीच उगाओ
नागफनी के काँटे ज़हरी
शर संधाने सिंधु-तीर पर
तत्पर मर्यादा के प्रहरी
मेरे नक्शे के त्रिकोण को
फिर से रघुकुल रीत चाहिए 000
#पुरानी_रचना (लखनऊ: 2 जून, 1984)
1 टिप्पणी:
वाह ! बहुत सुंदर आकांक्षा❤️❤️🙏
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