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रविवार, 26 दिसंबर 2010

द्वा सुपर्णा

एक डाल पर बैठे हैं
                      वे दोनों
दोनों के पंख सुनहरे हैं
पेट भी दोनों के हैं

एक का पेट भरा है
वह फिर भी खाता है

दूसरे  का पेट खाली है
वह फिर भी देखता है

केवल देखता है!

कब तक देखते रहोगे, यार?

(७/११/२००३)

2 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

एक पाण्‍डा हैं और दूसरा बेचारा चिड़ी का बच्‍चा। एक सत्ताधीश है दूसरा निरीह प्रजाजन।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

bahut kushal abhivyakti..
bechare ko khali pet rahte bhi khana alabhy hai.