ऋषभ की कविताएँ
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रविवार, 26 दिसंबर 2010
मौत
बहुत निष्ठुर प्रेमिका है मौत
रूठकर ऐसी गई
आती नहीं.
जनम से
घर में घुसी यह सौत
ज़िन्दगी
उसको तनिक
भाती नहीं.
(१२/१०/२००३)
1 टिप्पणी:
Suman
ने कहा…
गागर में सागर छुपा है
इस रचना में, सुंदर अर्थपूर्ण !
3 जून 2011 को 10:52 am बजे
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1 टिप्पणी:
गागर में सागर छुपा है
इस रचना में, सुंदर अर्थपूर्ण !
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