ऋषभ की कविताएँ
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रविवार, 26 दिसंबर 2010
पुनर्जन्म
ठीक ही हुआ
बिखर गईं मेरी पंखुड़ियाँ.
नहला गईं हवाओं को
अपनी खुशबू से.
मर कर भी
मैं मरा नहीं,
मिटा नहीं.
फिर से जी उठा
तुम्हारी साँसों में.
(१९/१०/२००३)
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