ऋषभ की कविताएँ
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रविवार, 26 दिसंबर 2010
सत्यवादी
जब-जब तुम्हें याद करता हूँ
सच बोलना चाहता हूँ!
जब-जब सच बोलना चाहता हूँ
तुम्हारा अंत याद आ जाता है!
और मैं
कन्नी काटकर निकल जाता हूँ!
(दो अक्टूबर २००३)
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