गुडिया-गाय-गुलाम
हिंदी मूल - डॉ. ऋषभ देव शर्मा * मैथिली अनुवाद - अर्पणा दीप्ति
परसु अहाँ हमरा
हल्ला करअ वाली
गुड़िया बुइझ
जमीन पर पटइक
देल्हूँ
आओर पैर सँ
रौंदल्हूँ हम कोनो शिकायत नहि कयलहूँ।
काल्हि अहाँ हमरा
अपन खुँटा परअक
गाय बुझि
हमरा पैर में
पगहा बांधि देल्हूँ
आओर दुहि देल्हूँ
हमरा , हम कोनो शिकायत नहि
कयलहूँ।
आई अहाँ हमरा
अपन हुक्मअक
गुलाम बुझि
गरम सलाख सँ जी
दाइग देल्हूँ आओर अखनो चाहैत छी
हम कोनो शिकायत
नहि करु !
नइ!
हम गुड़िया नहि छी
हम गाय नहि
छी
हम गुलाम नहि
छी !!
परसों तुमने मुझे
चीखने वाली गुड़िया समझकर
जमीन पर पटक दिया
और पैरों से रौंद डाला पर मैंने कोई शिकायत नहीं की.
कल तुमने मुझे
अपने खूंटे की गाय समझकर
मेरे पैरों में रस्सी बाँध दी
और मेरे थनों को दुह डाला पर मैंने कोई शिकायत नहीं की.
आज तुमने मुझे
अपने हुक्म का गुलाम समझ कर
गरम सलाख से मेरी जीभ दाग दी है और अब भी चाहते हो
मैं कोई शिकायत न करूँ.
नहीं!
मैं गुड़िया नहीं,
नहीं!
मैं गुड़िया नहीं,
मैं गाय नहीं,
मैं गुलाम नहीं!!
('देहरी', पृष्ठ 1)
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