संभव नहीं कि शक्ति हो औ' ज़्यादती न हो।
इतना करो कि ज़्यादती को ज़्यादती कहो।।
जनता के चारणो! सुनो,सत्ता के मत बनो;
तुम जागते रहो कि कहीं ज़्यादती न हो।।
इतना करो कि ज़्यादती को ज़्यादती कहो।।
जनता के चारणो! सुनो,सत्ता के मत बनो;
तुम जागते रहो कि कहीं ज़्यादती न हो।।
6/4/2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें