ऋषभ की कविताएँ
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सोमवार, 17 अप्रैल 2017
खैर मनाओ
कीमत घटी इनसान की खैर मनाओ।
इस दौर में भगवान की खैर मनाओ।
जब सौंप दी अंधों को बंदूक आपने!
अब आप अपनी जान की खैर मनाओ।।
5/4/2017
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