कल आपने बोई थीं गलियों में नफ़रतें।
यों आज लहलहाई हैं घर घर में दहशतें।।
नादान बालकों को वहशी बनाने वालो!
खाएँगी तुमको एक दिन तुम्हारी वहशतें।।
यों आज लहलहाई हैं घर घर में दहशतें।।
नादान बालकों को वहशी बनाने वालो!
खाएँगी तुमको एक दिन तुम्हारी वहशतें।।
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