दम तोड़ने से पहले सपने नीले पड़ गए थे,
होंठ ऐंठ गए थे सफेद फेन उगलते-उगलते;
अच्छा हुआ, नींद में ही तड़क गई थीं नसें,
दम टूट गया; नींद नहीं टूटी!
जल्लाद! तुम सचमुच कितने दयालु हो!!
होंठ ऐंठ गए थे सफेद फेन उगलते-उगलते;
अच्छा हुआ, नींद में ही तड़क गई थीं नसें,
दम टूट गया; नींद नहीं टूटी!
जल्लाद! तुम सचमुच कितने दयालु हो!!
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