प्रकृति
प्रकृति हमारा पालन करती करती सचमुच पोषण
पर हम अंधे होकर करते उसका दोहन-शोषण
पेड़ कट गए, चिडियाँ गायब नहीं कबूतर मिलते
अब तो सिंथेटिक पौधों पर गुलाब नकली खिलते
चलो प्रकृति की ओर चलें अब सब नदियों को जोडें
पेड़ लगाएं, फूल खिलायें राम सेतु ना तोडें
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