फ़ॉलोअर

रविवार, 20 दिसंबर 2009

पहली भोर

पहली भोर



बरस भर वह
उगलता रहा मेरे मुँह पर
दिन भर का तनाव
हर शाम !


आज
नए बरस की पहली भोर
मैंने दे मारा
पूरा भरा पीकदान
उसके माथे पर !!


कैसा लाल - लाल उजाला
फ़ैल गया सब ओर !!!

कोई टिप्पणी नहीं: